गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लाए कौन संदेश नए घन / महादेवी वर्मा
5 bytes removed
,
16:47, 14 मई 2007
रजनी अलसित,
श्यामल पुलकित
किम्पत
कंपित
कर में
दमक उठे विद्युत के कंकण!
जड़ जग
स्पिन्दत
स्पंदित
,
निश्चल कम्पित,
Anonymous user
Ramadwivedi