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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem> जिन्दगी ज़िन्दगी गोया शिकस्त-ए-साज साज़ से कुछ कम नहींअपनी खामोशी ख़ामोशी मगर आवाज आवाज़ से कुछ कम नहीं
रात के जलते परों ने आग बरसाई बहुत
चांदनी भी इक तेरे अन्दाज अन्दाज़ से कुछ कम नहीं
खनखनाती हैं अजल अज़ल की बेड़ियां हर आन मेंजो जी रहे हैं ये तेरे एजाज एजाज़ से कुछ कम नहीं
रंग-ए-गुल लम्हात की धड़कन से बिछड़ा गीत है
सोज़ होना गीत का इक राज़ से कुछ कम नहीं
साँस की बुझती चिताओं में है नक्श-ए-जिन्दगीज़िन्दगीसांस का अंजाम भी आवाज आवाज़ से कुछ कम नहीं </poem>