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किसने वस्ल का सूरज देखा, किस पर हिज्र की रात ढली<br>
'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर बसना भी लुट जाना भी<br>
तुम उस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे <br><br>