भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मनुष्यता / मैथिलीशरण गुप्त

6 bytes removed, 08:41, 12 जनवरी 2008
addher bhave jo bhare
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
 
vahi
Anonymous user