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अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह
मर चुक कहें कहीं कि तू ग़मे-हिज़्राँ से छूट जायेकहते तो हैं भले की वह वो लेकिन बुरी तरह
ना ताब हिज्र में है ना आराम वस्ल में,
कम्बख़्त कमबख़्त दिल को चैन नही है किसी तरह
गर चुप रहें तो गम-ऐ-हिज्राँ से छूट जाएँ,
कहते तो हैं भले की वो लेकिन बुरी तरह
ना जाए वां वाँ बने है ना बिन जाए चैन है,
क्या कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह