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Kavita Kosh से
मुफ़्त बैठे बिठाये लोगों ने
कर दिए अपने आने -जाने केतज़किरे जाए<ref>चर्चाएँ</ref> जाये-जाये<ref>जगह-जाए जगह, दुनिया भर में</ref> लोगों ने
वस्ल <ref>मिलन</ref> की बात कब बन आयी थीदिल से दफ़्तर बनाये <ref> कहानियाँ गढ़ डालीं</ref> लोगों ने
बात वहाँ अपनी वहाँ न जमने दी
अपने नक़्शे जमाये लोगों ने
दोनों के होश उड़ाये लोगों ने
बिन कहे राज़हा-ए-पिन्हानी<ref> छुपे हुए रहस्य </ref>
उसे क्योंकर सुनाये लोगों ने
क्या तमाशा है जो न देखे थे
</poem>
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