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|संग्रह=समय से भिड़ने के लिये / सरोज परमार
}}
[[Category:कविता]]
<poem>
घिर कर बैठने के लिए
अपनों की खोदते लाशें
छाले-छाले हुए हाथ.
 
 
 
</poem>
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