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रंग रंग उसको चीज़ पहुँचाई<br><br>
उसको तरजह तरजीह सब के उपर दे<br>
लुत्फ़-ए-हक़ ने की इज़्ज़त अफ़ज़ाई<br><br>
हैरत आती है उसकी बातें देख<br>
ख़ुद सारी सरी ख़ुद सताई ख़ुद राईख़ुदराई<br><br>
शुक्र के सज्दों में ये वाजिब था<br>
ये भी करता सज्दा सदा जबीं साई<br><br>
सो तो उसकी तबीयत-ए-सर्कशसरकश<br>सर न लाई फ़रो के तुक टुक लाई<br><br>
'मीर' ना चीज़ नाचीज़ मुश्त-ए-ख़ाक आल्लाहअल्लाह<br>
उन ने ये किबरिया कहाँ पाई