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[[Category:ग़ज़ल]]
मियाँ खुश रहो हम दुआ कर चले
दिखाई दिए यूं कि बेखुद बेखुद किया
हमें आप से भी जुदा कर चले
परस्तिश की याँ तैं तईं कि ऐ बुत तुझे
नज़र में सबों की खुदा ख़ुदा कर चले
गई उम्र दर बंद-ऐ-फिक्रफ़िक्र-ऐ-ग़ज़ल
सो इस फ़न को ऐसा बड़ा कर चले