भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुलसीदास के दोहे / तुलसीदास

207 bytes added, 00:09, 7 फ़रवरी 2008
होई कपूत सपूत के ज्यों पावक मैं धूम!!
 
 
जड़ चेतन गुन दोषमय विश्व कीन्ह करतार!
 
संत हंस गुन गहहीं पथ परिहरी बारी निकारी!!
Anonymous user