|संग्रह=
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[[Category:ग़ज़ल]]
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बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी <br>ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार जैसी अब है तेरी महफ़िल बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी <br><br>
ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्रचश्म-ओए-क़रार <br>क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन बेक़रारी तुझे ऐ दिल जैसे अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी <br><br>
चश्म-ए-क़ातिल उन की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू के तबीयत मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन <br>जैसे अब हो गई क़ातिल माइल कभी ऐसी तो न थी <br><br>
उन की आँखों अक्स-ए-रुख़-ए-यार ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू <br>किस से है तुझे चमकाया के तबीयत मेरी माइल ताब तुझ में माह-ए-कामिल कभी ऐसी तो न थी <br><br>
अक्स-ए-रुख़-ए-यार ने किस से है तुझे चमकाया <br>ताब तुझ में माह-ए-कामिल कभी ऐसी तो न थी <br><br> क्या सबब तू जो बिगड़ता है "ज़फ़र" से हर बार <br>
ख़ू तेरी हूर-ए-शमाइल कभी ऐसी तो न थी
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