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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= फ़िराक़ गोरखपुरी}} <poem> {{KKPustak* '''१ |चित्र=|नाम=गुले- आँखों में जो बात हो गई है'''नग़मा |रचनाकार=[[फ़िराक़ गोरखपुरी]]आँखों में जो बात हो गई है|प्रकाशक=एक शरहे-हयात१ हो गई है।|वर्ष= |भाषा=हिन्दीजब दिल की वफ़ात हो गई है|विषय=हर चीज की रात हो गई है।|शैली=|पृष्ठ=ग़म से छुट कर ये ग़म है मुझको|ISBN=क्यों ग़म से नजात हो गई है।|विविध=}}मुद्दत से खबर मिली न दिल को शायद कोई * [[आँखों में जो बात हो गई है। <है /poem>फ़िराक़ गोरखपुरी]]