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सैयद अली नक़ी ‘सफ़ी’ का जन्म लखनऊ में ३ जनवरी १८६२ ई. को हुआ। पिता सैयद फ़ज़ल हुसएन अवध अंतिम बादशाह के विश्वसनीय पात्र थे। आपके पूर्वज शम्स उद्दीन अल्तमश बादशाह के शासन काल में ग़ज़नी से आकर दिल्ली में अबाद हुए, फिर वहाँ से फ़ैज़ाबाद चले गए।
आपने पाँच वर्ष की आयु में अरबी-फ़ारसी का अभ्यास प्रारम्भ किया। मैट्रिक तक अंग्रेज़ी पढ़ी। कुछ दिन अंग्रेज़ी अध्यापक की नौकरी की और फिर दीवानी अदालत में काम करना शुरू किया और १९२२ई. में पेंशन लेकर साहित्य सेवा में लीन रहे। सन् १९५० ई. में आपका निधन हुआ।
सफ़ी लखनवी के दो नज़्मों के दिवान और एक गज़लों का संग्रह छ्प चुके हैं। आपकी क़ौमी नज़्मों ने बहुत ख्याति पाई और उसके एवज़ में मुस्लिम समाज ने उन्हें ‘लस्सानुलक़ौम’ [क़ौम की आवाज़] की उपाधि से नवाज़ा।
आपने पाँच वर्ष की आयु में अरबी-फ़ारसी का अभ्यास प्रारम्भ किया। मैट्रिक तक अंग्रेज़ी पढ़ी। कुछ दिन अंग्रेज़ी अध्यापक की नौकरी की और फिर दीवानी अदालत में काम करना शुरू किया और १९२२ई. में पेंशन लेकर साहित्य सेवा में लीन रहे। सन् १९५० ई. में आपका निधन हुआ।
सफ़ी लखनवी के दो नज़्मों के दिवान और एक गज़लों का संग्रह छ्प चुके हैं। आपकी क़ौमी नज़्मों ने बहुत ख्याति पाई और उसके एवज़ में मुस्लिम समाज ने उन्हें ‘लस्सानुलक़ौम’ [क़ौम की आवाज़] की उपाधि से नवाज़ा।