भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[वफ़ा के बाब में इल्ज़ाम-ए-आशिक़ी न लिया / फ़राज़]]
* [[ज़ख़्म को फूल तो सरसर को सबा कहते हैं / फ़राज़]]
* [तेरा ग़म अपनी जगह दुनिया के ग़म अपनी जगह / फ़राज़]]
* [वह जो आ जाते थे आँखों में सितारे लेकर / फ़राज़]]
* [किसी से दिल की हिकायत कभी कहा नहीं की / फ़राज़]]
* [मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं / फ़राज़]]
* [चली है शहर में कैसी हवा उदासी की / फ़राज़]]
* [[कल हमने बज़्में यार में क्या-क्या शराब पी / फ़राज़]]