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Kavita Kosh से
|रचनाकार=देवी नांगरानी
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'''१२'''<br>गुड़िया रानी, गुड़िया रानी,<br>ऐ री बंदरिया मेरीतू क्यों भई उदास<br>बन संवर कर आज पूंछ कहाँ है जाना<br>तेरीतुझे पिया के पास<br><br>ढूँढ उसे यूँ बाहर भीतरनींद उड़ी है मेरी
'''२३'''<br>ऐ री बंदरिया मेरी<br>कौए काकापूंछ कहाँ है तेरी<br>पास में आजाढूँढ उसे यूँ बाहर भीतर<br>मुन्ना खाएनींद उड़ी है मेरी<br><br>रोटी आजा
'''५'''<br>
आया आया चंदामामा<br>जाने क्यों कर चोरी चोरी<br>नील गगन से धरती पर ये<br>सुनने ममता की अब लोरी<br><br> '''६'''जीवन नैयाकर ले पारहै क्या जीवन:बहती धारदुख सुख मन के:है आधारसच का अपना:अलग निखारममता देवी:मेरा प्यार