भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
क्या हुआ हुस्न हमसफ़र है या नहीं
इश्क मंजिल मंज़िल ही मंजिल मंज़िल है रस्ता नहीं
गम छुपाने से छुप जाए ऐसा नहीं
बेखबर बेख़बर तूने आईना देखा नहीं
दो परिंदे उड़े आंख आँख नम हो गई
आज समझा के मैं तुझको भूला नहीं
अहल-ऐ-मंजिल अभी से न मुझ पर हंसो हँसो पांव पाँव टूटे हैं दिल मेरा टूटा नहीं
तरक-ऐ-मय को अभी दिन ही कितने हुए
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits