भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[देख पंछी जा रहे अपने बसेरों में / गौतम राजरिशी]]
* [[हरी है ये ज़मीं हमसे कि हम तो इश्क बोते हैं / गौतम राजरिशी]]
* [[एक मुद्दत से हए हुए हैं वो हमारे यूँ तो / गौतम राजरिशी]]
* [[अब के ऐसा दौर बना है / गौतम राजरिशी]]
* [[वो जब अपनी ख़बर दे है / गौतम राजरिशी]]