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|रचनाकार=खुमार ख़ुमार बाराबंकवी
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कट गई उम्र रात बाक़ी है
इश्क में हम निभा चुके सब से ऐ 'खुमारख़ुमार'
बस एक ज़ालिम हयात बाकी है
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