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हाले-ग़म उन को सुनाते जाइए / ख़ुमार बाराबंकवी
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13:52, 30 अगस्त 2009
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{{KKRachna
|रचनाकार=
खुमार
ख़ुमार
बाराबंकवी
|संग्रह=
}}
दोस्तों को आज़माते जाइए
रोशनी महदूद हो जिन की '
खुमार
ख़ुमार
'
उन चरागों को बुझाते जाइए
</poem>
Shrddha
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