भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विपर्यय / मनोज कुमार झा

467 bytes added, 09:08, 4 सितम्बर 2009
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज कुमार झा }} <poem> रीढ मोडी घुटने टेके बना घोड...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज कुमार झा
}}
<poem>

रीढ मोडी

घुटने टेके

बना घोडा

बच्‍चे बैठें

करें खिलखिल

खिले सरसों

मन हरा हो

पर ये खट खट

किसके जूते

कौन सिर पे मूतता है

हे प्रभो, तूं सूतता है।