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विपर्यय / मनोज कुमार झा

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|रचनाकार=मनोज कुमार झा
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रीढ मोडी

घुटने टेके

बना घोडा

बच्‍चे बैठें

करें खिलखिल

खिले सरसों

मन हरा हो

पर ये खट खट

किसके जूते

कौन सिर पे मूतता है

हे प्रभो, तूं सूतता है।