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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज कुमार झा
}}
<poem>
रीढ मोडी
घुटने टेके
बना घोडा
बच्चे बैठें
करें खिलखिल
खिले सरसों
मन हरा हो
पर ये खट खट
किसके जूते
कौन सिर पे मूतता है
हे प्रभो, तूं सूतता है।
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|रचनाकार=मनोज कुमार झा
}}
<poem>
रीढ मोडी
घुटने टेके
बना घोडा
बच्चे बैठें
करें खिलखिल
खिले सरसों
मन हरा हो
पर ये खट खट
किसके जूते
कौन सिर पे मूतता है
हे प्रभो, तूं सूतता है।