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{{KKRachna
|रचनाकार=अनामिका
|संग्रह=दूब-धान / अनामिका
}}
मेरी इन{{KKCatKavita}}<brpoem>मेरी इनकोल्हापुरी चप्पलों का<br>अकडा हुआ<br>कीचड<br>एयरपोर्ट के इस<br>महाचकाचक फर्श पर<br>वैसे ही टिमक रहा है<br>जैसे पग्गड<br>किसान का<br>दकमता है<br>कृषि-भवन के<br>पोस्टर पर।<br>’परिचारिका‘ में परी<br>दीर्घइकार भूलकर<br>हो जाती है<br>क्यों छोटी इ?<br/poem>
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