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बनमानुष कविता पढ़ रहा है / अवतार एनगिल
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12:10, 12 सितम्बर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=
मनखान आएगा
अन्धे कहार
/अवतार एनगिल
}}
<poem>घूमने वाली आरामदेह कुर्सी में धंसकर
प्रकाश बादल
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