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Kavita Kosh से
<poem>वह कथानक है,सम्राट नहीं
तिस पर भी, आज बादशाह सलामत ने
उसकी दाबत दावत कबूल की
उसकी नायाब बांदियों ने
हुज़ूर को ख़िदमत से खुश किया ।