भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
झूम झूम झूम तू डा़ली पर झूम, मन मेरे!
बन के, तू जप कुसुम का फूल!
डा़ली की हरियाली से तू खेल खेल खिल जा रे,ओ मेरे मन झूम तू, बन जपाकुसुम का फूल! आज फिजा में फैला दे तू, अपनी चितवन का रूप,बन पराग, उडा़ दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!
</poem>