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जपाकुसुम का फूल / लावण्या शाह

215 bytes added, 18:46, 12 सितम्बर 2009
<poem>
झूम झूम झूम तू डा़ली पर झूम, मन मेरे!
बन के, तू जप कुसुम का फूल!
डा़ली की हरियाली से तू खेल खेल खिल जा रे,ओ मेरे मन झूम तू, बन जपाकुसुम का फूल! आज फिजा में फैला दे तू, अपनी चितवन का रूप,बन पराग, उडा़ दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!
</poem>
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