भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
भारति, जय, विजय करे
कनक - शस्य - कमल धरे!
ध्वनित दिशाएँ उदार,
शतमुख - शतरव - मुखरे!