भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एन...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल
}}
<poem>धुंध,बर्फ़ और बारिश वाले
दस शहर की ठण्डी सड़कों पर
भागता परछाईयों घिरा
एक रौशन टुकड़ा : कमज़ोर भगौड़ाअ

चक्रव्यूह में घूमता अभिमन्यु ......
दण्डभोगी आकाश......
यतित पाण्डुलिपियों जैसे आदमी.......
फैंक दिये अख़बार से झांकती एक ख़बर

तुम कहते हो
कविता को टुकड़ियों में
फटी पतंग की धज्जियां हैं

काले आकाश बीच टूट गया है
अभी अभी
खिड़की का कांच
टहलते हैं अभिमन्यु
मां के भूल-कक्ष में
अपनी-अपनी सुरक्षित हथेलियां
पैंटों को छिपाए

रक्तबीजों की अपनी एक महक है
जान नहीं पाये जिसे
कवचधारी रोबो
रहना है जिन्हें प्रथम
अंकगणित में
और इधर
काले आकाश बीच
छितरा गई है
एक गुलाबी चिड़िया की आंख
देख नहीं पा रही
महायुद्धों से बड़े
कहीं बड़े
विनाशों की कहानियां।
</poem>
Mover, Uploader
2,672
edits