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<poem>याद किसी की चांदनी बन कर कॊठॆ कॊठॆ उतरी है
याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी है
रात की रानी शानॆ चमन मॆ‍ गॆसू खॊल कॆ सॊती है
रात बॆ रात उधर् मत जाना इक् नागिन भी रहती है
</poem>
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