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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }} <poem>उम्र..... कुछ यूँ बही जैस...
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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ।</poem>
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|रचनाकार=रंजना भाटिया
|संग्रह=
}}
<poem>उम्र.....
कुछ यूँ बही
जैसे नदी का
तेज बहाव
उम्र.....
न जाने
कहाँ हुआ गुम
तेरा -मेरा
मैं और तुम
उम्र.....
तन्हा रास्ता
तन्हा ही है
दुनिया का मेला
जाए हर कोई अकेला ।</poem>