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तेरे छुने से / रंजना भाटिया

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|रचनाकार=रंजना भाटिया
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}}
<poem>तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है
एक पर्दा सा था तन मन पर मेरे
तेरे छुने से वो भ्रम जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल में प्यार फूटा है !!

हिमनदी सी जमी हुई थी मैं
तेरे छुने से एक गर्माहट हुई
सोई हुई तितलियों के पंख में
फिर से कोई अकूलाहट हुई
दिल में फिर से मस्त बयार का झरना फूटा है
तेरे छुने से बरसो बाद मेरा मौन टूटा है

मेरे ही स्वर कही गुम थे मेरे भीतर छिपे हुए
तेरे आने से हर राग जैसे दिल को छूता है
छा गया है एक खुमार सा चारो तरफ़
हाँ बरसो बाद मेरा मौन से साथ छूटा है

तेरे छुने से मेरा हर भर्म जाल टूटा है
आज बरसो बाद दिल मे प्यार फूटा है !! </poem>
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