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मित्र / संजय कुंदन

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एक क़िले के सामनेदिन मेरे सबसे क़रीबी मित्र नेएक राजा के गुणों हत्यारों कासमर्थन किया और बोलाबखान करते हुए वहउन्हें हत्यारा न कहा जाएउत्सुकता से पर्यटकों को देख रहा था।वे हमारी संस्कृति के रक्षक हैंवह टटोल रहा थाफिर उसने मुझसे संस्कृति परकि पर्यटक उस राजा के वैभव सेबातचीत बंद कर दीअभिभूत हो रहे हैं या नहींहमारी बातचीत में अब रोज़मर्रा की चीज़ें ही रह गईंवह खाना-पीना कपड़ा-लत्ता वगैरहफिर एक राजा के पक्ष मेंदिन महंगाई पर बात निकलीइस तरह बोल रहा थाऔर मित्र ने कहा- उन्हें ही सरकार बनाने काजैसे दरबारी या चारण होमौका मिलना चाहिएउसका इतिहास राजा के शयन कक्ष से शुरू होकरउन हत्यारों को?क़िलों, तोपों, जूतों, वस्त्रों - मैंने पूछाउन्हें हत्यारा मत कहो- वह चीखाफिर उस दिन से होता हुआमहंगाई पररसोई में समाप्त हम लोगों की चर्चा बंद हो जाता थागईवह राजा अब हम लोग सिर्फ़ पुराने दिनों की पराजय और समझौतों परबात करतेकुछ नहीं बोलता थाबीते दिनों को, अपने बचपन को याद करतेतरहएक दिन बात करते-तरह की मुद्राएँ बनाकरकरतेस्वर हम एकदम पीछे लौट गएलौटते चले गए इतिहास में उतारमित्र ने कहा-चढ़ाव लाकरइतिहास में सब कुछ अच्छा हैवह प्रयत्न कर रहा थाफिर से कायम होनी चाहिएकि उसे माना जाए राजा का समकालीनवही पुरानी व्यवस्थाउसे ही स्वीकार किया जाएठीक कहते हैं वे लोगउस युग का एकमात्र प्रवक्तामैने पूछावह चाहता था- कौन, वे हत्यारे?कि पर्यटक उसे अतीत में बैठा हुए देखेंउन्हें हत्यारा मत कहोपर - वह दिखता था एकदमवर्तमान का आदमीचीखाअपने को एक अनदेखे युग काहिस्सा बनाने उस दिन से हमलोगों की हर कोशिश मेंबातचीतवो विफल एकदम ही बंद हो रहा थागईबड़ी प्यारी लग रही थी उसकी विफलता।कम हो गया मिलना-जुलना फिर भी खत्म नहीं हुई मित्रता।
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