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पहली मुलाकात / रंजना भाटिया

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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
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}}
<poem>याद रहेगा मुझे ज़िंदगी भर......
वो पहली मुलाक़ात का मंज़र सुहाना....
वो दुनिया से छिप के मिलना मिलाना.......
एक दूसरे को देखते ही अचानक
वो आँखो में चमक का भर जाना
वो पहली बार हाथो का छूना.....
वो तुम्हारा शरारती आँखो से मुस्कराना.......
नमकिन है या मीठा देखने के लिए
छू जाता है दिल को मेरे पीते ही
तुम्हारा वोह गिलासों को बदल जाना.
लबो पे आ के ठहरी थी कई बाते ..........
पर याद रहेगा वोह आँखो से बतियाना........
तुम्हारा मुझे छूने की कोशिश....
और मेरी सांसो का तेज़ हो जाना
मेरे दिल का जोरो से धड़कना और फिर अपनी नज़रे झुकना.....
हर किसी को अपनी और देखते पाते.......
यक़बा-यक मेरा चौंक कर परेशान हो जाना....
याद रहेगा मुझे यह ता-उमर.....
मेरे डर को, मेरी परेशानी को कम करने के लिए
तुम्हारा इस को सच प्यार बताना.........
और फिर एक दूसरे की आँखो मैं झाँकते हुए..
इस मुकदस पवीत्र मोहब्बत पर कहकहे लगाना.........
</poem>
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