भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=यशोधरा / मैथिलीशरण गुप्त
}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
"माँ कह एक कहानी।"
बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?"
"कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी
कह माँ कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी?
माँ कह एक कहानी।"
"माँ कह एक कहानी।"<br>बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?"<br>"कहती तू है मुझसे यह चेटीहठी, मानधन मेरे, सुन उपवन में बड़े सवेरे, तू मेरी नानी की बेटी<br>कह माँ कह लेटी ही लेटीतात भ्रमण करते थे तेरे, राजा था या रानी?<br>जहाँ सुरभि मनमानी।""जहाँ सुरभि मनमानी! हाँ माँ कह एक यही कहानी।"<br><br>
"तू है हठीवर्ण वर्ण के फूल खिले थे, मानधन मेरेझलमल कर हिमबिंदु झिले थे, सुन उपवन में बड़े सवेरे,<br>तात भ्रमण करते हलके झोंके हिले मिले थे तेरे, जहाँ सुरभि मनमानी।लहराता था पानी।"<br>"जहाँ सुरभि मनमानी! लहराता था पानी, हाँ-हाँ माँ यही कहानी।"<br><br>
वर्ण वर्ण के फूल खिले "गाते थेखग कल-कल स्वर से, झलमल कर हिमबिंदु झिले थेसहसा एक हंस ऊपर से,<br>हलके झोंके हिले मिले थेगिरा बिद्ध होकर खग शर से, लहराता था पानी।हुई पक्षी की हानी।"<br>"लहराता था पानी, हाँ हाँ यही कहानी।हुई पक्षी की हानी? करुणा भरी कहानी!"<br><br>
"गाते थे खग कल कल स्वर सेचौंक उन्होंने उसे उठाया, सहसा एक हँस ऊपर सेनया जन्म सा उसने पाया,<br>गिरा बिद्ध होकर खग शर सेइतने में आखेटक आया, हुई पक्ष की हानी।लक्ष सिद्धि का मानी।"<br>"हुई पक्ष की हानी? करुणा भरी कहानीलक्ष सिद्धि का मानी!कोमल कठिन कहानी।"<br><br>
चौंक उन्होंने उसे उठाया, नया जन्म सा "मांगा उसने पायाआहत पक्षी, तेरे तात किन्तु थे रक्षी,<br>इतने में आखेटक आयातब उसने जो था खगभक्षी, लक्ष सिद्धि का मानी।हठ करने की ठानी।"<br>"लक्ष सिद्धि का मानीहठ करने की ठानी! कोमल कठिन अब बढ़ चली कहानी।"<br><br>
"माँगा उसने आहत पक्षीहुआ विवाद सदय निर्दय में, तेरे तात किन्तु उभय आग्रही थे रक्षीस्वविषय में,<br>गयी बात तब उसने जो था खगभक्षीन्यायालय में, हठ करने की ठानी।सुनी सभी ने जानी।"<br>"हठ करने की ठानीसुनी सभी ने जानी! अब बढ़ चली व्यापक हुई कहानी।"<br><br>
हुआ विवाद सदय निर्दय मेंराहुल तू निर्णय कर इसका, उभय आग्रही थे स्वविषय में,<br>न्याय पक्ष लेता है किसका?गयी बात तब न्यायालय मेंकह दे निर्भय जय हो जिसका, सुनी सभी ने जानी।सुन लँ तेरी बानी"<br>"सुनी सभी ने जानी! व्यापक हुई माँ मेरी क्या बानी? मैं सुन रहा कहानी।"<br><br>
राहुल तू निर्णय कर इसका, न्याय पक्ष लेता है किसका?<br>कह दे निर्भय जय हो जिसका, सुन लूं तेरी बानी"<br>"माँ मेरी क्या बानी? मैं सुन रहा कहानी।<br>कोई निरपराध को मारे तो क्यों अन्य उसे न उबारे?<br>रक्षक पर भक्षक को वारे, न्याय दया का दानी।"<br>"न्याय दया का दानी! तूने गुनी कहानी।"<br><br/poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,096
edits