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Kavita Kosh से
|रचनाकार= श्रद्धा जैन
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अफ़साना-ए-उल्फ़त है, इशारों से कहेंगे
क़िस्सा उड़ी रंगत का, बहारों से कहेंगे
आँखों में हैं जल जाते, वफाओं वफ़ाओं के जो जुगनूजज़्बात ज़ज़्बात ये “श्रद्धा” के, हज़ारों से कहेंगे
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