511 bytes added,
06:18, 29 सितम्बर 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
आफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम और।
याद आ गये भूले हुए कुछ उसको सितम और॥
हम ‘आरज़ू’ इस शान से पहुँचे सरेमंज़िल।
ख़ुद लग़्ज़िशेपा ले गई दो-चार क़दम और॥
</poem>