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कितना अकेला आज मैं / हरिवंशराय बच्चन
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21:27, 29 सितम्बर 2009
भटका हुआ संसार में,
अकुशल जगत
व्यवहार
व्यवहार
में,
असफल सभी
व्यापार
व्यापार
में, कितना अकेला आज मैं!
कितना अकेला आज मैं!
खोया सभी
विश्वास
विश्वास
है,
भूला सभी
उल्लास
उल्लास
है,
कुछ खोजती हर साँस है, कितना अकेला आज मैं!
कितना अकेला आज मैं!
हेमंत जोशी
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