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(८)
यह सष्टि नष्ट कर नवल सृष्टिरचने का यदि मैं करूँ कष्ट,फिर मुझे यही कहना होगाअपनी कृति से हो असंतुष्ट,’फिर उसी तरह से हुआ प्रलयफिर उसी तरह से हुई सृष्टि।’
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