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कहते हैं, तारें तारे गाते हैं!
सन्‍नाटा सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमने कान लगाया,
फिर भी अगणित कंठों का यह राग नहीं हम सुन पाते हैं!
कहते हैं, तारें तारे गाते हैं!
स्‍वर्ग स्वर्ग सुना करता यह गाना,पृथ्‍वी पृथ्वी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों में तारों के नीरव आँसू आते हैं!
कहते हैं, तारें तारे गाते हैं!
ऊपर देव, तले मानवगण,
नभ में दोनों, गायन-रोदन,
राग सदा ऊपर को उठता, आँसू नीचे झर जाते हैं!
कहते हैं, तारें तारे गाते हैं!
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