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गिरजे से घंटे की टन-टन / हरिवंशराय बच्चन
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19:20, 3 अक्टूबर 2009
मेरा मंदिर था, प्रतिमा थी,
मन में पूजा की महिमा थी,
किंतु निरभ्र
गगने
गगन
से गिरकर वज्र गया कर सबका खंडन!
गिरजे से घंटे की टन-टन!
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