भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह=निशा निमन्त्रण / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
था तुम्हें मैंने रुलाया!
हाहाय, मृदु इच्छा तुम्हारी मृदुल इच्छा!<br>हायहा, मेरी उपेक्षा कटु अनिच्छाहमारी!<br>था बहुत माँगा ना तुमने किन्तु वह भी दे ना पाया!<br>था तुम्हें मैंने रुलाया!<br><br>
स्नेह का वह कण तरल था,<br>मधु न था, न सुधा-गरल था,<br>एक क्षण को भी, सरलते, क्यों समझ तुमको न पाया!<br>था तुम्हें मैंने रुलाया!<br><br>
बूँद कल की आज सागर,<br>सोचता हूँ बैठ तट पर -<br>क्यों अभी तक डूब इसमें कर न अपना अंत पाया!<br>था तुम्हें मैंने रुलाया!<br><br><br/poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,395
edits