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/* निशा निमंत्रण */
प्रिय धर्मेन्द्र जी!
मुझे अभी एक-दो हफ़्ते लग जाएंगे क्योंकि बच्चन जी की पूरी रचनावली मेरे दूसरे फ़्लैट में बनी मेरी लाइब्रेरी में रखी है। वह फ़्लैट थोड़ा दूर है। जब मुझे समय मिलेगा, मैं जाकर बच्चन जी की वे किताबें उठा लाऊंगा, जो आप ट्ंकित टंकित कर चुके हैं और एक-दो दिन लग कर सब पूरी तरह से देख डालूंगा।
सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १८:३०, ५ अक्तूबर २००९ (UTC)