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खोले श्याम-कुण्डली विष को
पथ-भूलना सिखा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
 
कठिन पराजय है यह मेरी
छवि न उतर पाई प्रिय तेरी
मेरी तूली को रस में भर,
तुम भूलना सिखा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
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