भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार= सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
}}
{{KKCatKavita}}
पल्लव - पल्लव पर हरियाली फूटी, लहरी डाली-डाली,<br>
बोली कोयल, कलि की प्याली मधु भरकर तरु पर उफनाई। <br><br>