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|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
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क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।
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