भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।
क्षमा करो बापू! तुम हमको,<br>बचन भंग के हम अपराधी,<br>राजघाट को किया अपावन,<br>मंज़िल भूले, यात्रा आधी।<br><br> जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,<br>टूटे सपनों को जोड़ेंगे।<br>चिताभस्म की चिंगारी से,<br>
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits