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|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
}}
{{KKCatKavita}}<poem>प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!
तूने कैसे पहचाना?
कहां, कहां हे बाल-विहंगिनि!
किसने तुझको अंतर्यामिनि!
बतलाया उसका आना!
</poem>