भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|संग्रह= गुंजन / सुमित्रानंदन पंत
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
देखूँ सबके उर की डाली
किसने रे क्या-क्या चुने फूल
जग के छवि-उपवन से अकूल !
इसमें कलि, किसलय,कुसुम, शूल !
देखूँ सबके उर की डाली<br>किस छवि, किस मधु के मधुर भाव ? किसने रे क्या-क्या चुने फूल<br>जग के छवि-उपवन किस रँग, रस, रुचि से अकूल किसे चाव !<br>इसमें कलि, किसलय,कुसुम, शूल कवि से रे किसका क्या दुराव !<br><br>
किस छवि, किस मधु के मधुर भाव किसने ली पिक की विरह तान ?<br>किस रँगकिसने मधुकर का मिलन गान ? या फुल्ल कुसुम, रस, रुचि से किसे चाव !<br>या मुकुल म्लान ? कवि से रे किसका क्या दुराव !<br><br>देखूँ सबके उर की डाली-
किसने ली पिक की विरह तान ?<br>किसने मधुकर का मिलन गान ?<br>या फुल्ल कुसुम, या मुकुल म्लान ?<br>देखूँ सबके उर की डाली-<br><br> सब में कुछ सुख के तरुण फूल<br>सब में कुछ दुख के करुण शूल-<br>सुख-दुख न कोई सका भूल ? <br><br>
(फरवरी,1932)
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits