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सादर
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १५:४९, ७ अक्तूबर २००९ (UTC)
निराला जी की 'अनामिका' पूरी होने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें
सच कहूँ तो आपको देख कर मैं भी लग कर एक किताब पर काम कर रही हूँ वरना मुझे भटकने की बहुत पुरानी आदत है
कुछ किसी किताब से किसी शायर का तो कभी कोई दूसरी किताब हाथ लग गई तो किसी और शायर का कुछ जोड़ दिया
आधा काम यहाँ तो आधा वहां और नतीजा कोई भी पूरा नहीं हाहाहा हा
पर अब लगता है कि अब आपके साथ काम करते करते मैं भी एक ही किताब पूरी टाइप करने के बाद ही दूसरी किताब शुरू करुँगी
ऐसे ही लगन से आप आगे बढ़ते जाएँ यही प्रार्थना है
--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] ०८:०३, १४ अक्टूबर २००९ (UTC)