भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गर्म लोहा / हरिवंशराय बच्चन

17 bytes added, 08:05, 14 अक्टूबर 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
}}{{KKCatKavita}}<poem>गर्म लोहा पीट, ठंडा पीटने को वक्त बहुतेरा पड़ा है।
सख्त पंजा, नस कसी चौड़ी कलाई
और बल्लेदार बाहें,
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits