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Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: उसके हाथ में तीन इक्के थे उसने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया और जी…
उसके हाथ में तीन इक्के थे
उसने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया
और जीत की खुशी में इतनी जोर से चीखा
कि उसकी नींद खुल गई
और पाया कि,
वह पड़ा है असहाय और एकांत
हो गया खामोश।
हरा हुआ जुआरी
बार-बार हरने बावजूद
देखता है सपने जीत के
इस तरह हो जाता है, धीरे-धीरे , बेखबर
हकीकत की दुनिया से ।
उसने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया
और जीत की खुशी में इतनी जोर से चीखा
कि उसकी नींद खुल गई
और पाया कि,
वह पड़ा है असहाय और एकांत
हो गया खामोश।
हरा हुआ जुआरी
बार-बार हरने बावजूद
देखता है सपने जीत के
इस तरह हो जाता है, धीरे-धीरे , बेखबर
हकीकत की दुनिया से ।