भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सेना लखि द्रोण सों बोल रहे
हे गुरुवार गुरुवर ! व्यूहामयी खड़ीव्यूहमयी ठाड़ी,
पाण्डु के पुत्रन की सेना.
द्रुपद पुत्र सुतन ने जाहि रच्यो ,
जुद्ध इनहीं सों तो होना