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{{KKRachna
|रचनाकार=सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]]
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खोले कोंपल, फले फूलकर
तरु-तल वैसा नहीं कुआँ है।
रचनाकाल=15 दिसम्बर, 1952
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